Durga Puja की यह विधि इंटरनेट पर नहीं मिलेगी, जो की बहुत ही अद्भुत है और मार्कंडेय पुराण, रूदयामल तंत्र, देवी भागवत इत्यादि ग्रंथों में वर्णित है वह विधि आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
Durga Puja 2023 -
दुर्गा पूजा विधि -
दुर्गा पूजा का विधान बहुत ही विस्तृत है जैसे कि पीठ पूजा, शस्त्र पूजा इत्यादि, जिसे संपूर्ण रूप से करने के लिए आपको किसी पंडित या पुरोहित की आवश्यकता पड़ेगी। इसी कारण से हमने उनमें से प्रमुख विधियों को यहां पर दिया है ताकि साधारण आमजन को दुर्गा पूजा करने में ज्यादा परेशानी ना हो, फिर भी यह विधियां जो हमने दी हैं अगर आपको लगता है कि ज्यादा समय लगाने वाली क्रियाएं हैं तो फिर आप दुर्गा जी को सिर्फ हाथ जोड़कर के नमस्कार कर लो।
किसी भी पूजा से पहले स्वयं को पूजा के लिए तैयार करने के लिए कुछ विधियां करनी पड़ती हैं, जिन्हें करना अति आवश्यक है। उन विधियों को हमारे दूसरे लेख में विस्तार से बताया है उसे ध्यान से पढ़ें तथा तथा फिर से इस आर्टिकल को देखकर आप दुर्गा पूजा प्रारंभ करें, उस लेख का लिंक यह है -
पूजा से पहले की विधियां - स्वयं को पूजा के लिए तैयार करें।
दुर्गा पूजा की सामग्री -
- अक्षत (बिना टूटे हुए चावल) कुमकुम, रोली ।
- सिंदूर, चंदन, इत्र, हल्दी की कुछ गांठें ।
- शहद, जल पात्र (तांबे या पीतल का)।
- आचमनी (तांबे का छोटा चम्मच)
- पान, सुपारी, लौंग, इलाइची, शुद्ध गाय का घी।
- दूर्वा (दूब), लाल रंग के पुष्प, दो लाल वस्त्र।
- रक्षा सूत्र (मौली), केसर, काजल, श्रृंगार के सामान।
- दूध, दही, घी, गुड, फल से बना पंचामृत।
- दूध की बनी मिठाई, फल, कपूर, दो दीपक ।
किसी भी पूजा से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है इसलिए हम यहां श्री गणेश जी की संक्षिप्त पूजा विधि दे रहे हैं जो ऊपर लिखे पूजन सामग्रियों से ही हो जाएगी -
सर्वप्रथम एक दीपक जला कर थोड़े से अक्षत जमीन पर रखकर दीपक उस पर रख दें और हाथ धो ले।
पुष्पम समर्पयामि।
यह बोलकर गणेश जी को फूल चढ़ाएं।
ॐ श्री गणेशाय नमः नाना परिमल देवयानी समर्पयामि।
यह बोलकर (चंदन रोली कुमकुम, इत्र, सिंदूर चढ़ाएं)
ॐ श्री गणेशाय नमः वस्त्राणि समर्पयामी।
यह बोलकर गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं।
ॐ श्री गणेशाय नमः धुप मार्घापयामी।
धूप अगरबत्ती दिखाएं।
ॐ श्री गणेशाय नमः दीप दर्शयामी।
दीप दिखा कर हाथ धो लें।
ॐश्री गणेशाय नमः नैवेद्यम निवेदयामी।
यह बोलकर फल मिठाई के ऊपर दूर्वा रखकर चढ़ाएं।
ॐश्री गणेशाय नमः नैवेद्यांते आचमनीयम जलम समर्पयामी।
(एक आचमनी जल चढ़ाएं)
ॐ श्री गणेशाय नमः अरार्तिक्यम समर्पयामि।
कपूर की आरती करें।
दुर्गा पूजा प्रारंभ -
सर्वप्रथम हाथ में पुष्प लेकर पुष्पांजलि दें -
पुष्पांजलि मंत्र -
ॐ ज्ञानीनांऽपि चेतांसी देवी भगवती ही सा।
बलादाकृस्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥
दुर्गे स्मृता हरसी भितीमशेजषजन्तो स्वसथैः।
स्मृता मती मतीव शुभां ददासी॥
दारिद्र दुख भय हारिनी का त्वदन्या।
सर्वोपकार करणाय सदआर्दचित्ता॥
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे हरे देवी नारायणी नमोस्तुते॥
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयभ्यस्त्राही नो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते॥
यह बोलकर पुष्प दुर्गा जी पर चढ़ा दें।
हाथ में अक्षत पुष्प लेकर यह मंत्र बोले और अक्षत और पुष्प को मां दुर्गा पर चढ़ा दें -
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।
ॐ दुं दुर्गाय नमः आवाहयामी पूजयामी च।
हाथ में पुष्प लेकर यह मंत्र बोलते हुए मां दुर्गा को समर्पित करें -
तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्।
ॐ दुं दुर्गाय नमः आसनं समर्पयामी
इस मंत्र से दुर्गा जी के चरणों को धोएं-
ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम्।
ॐ दुं दुर्गाय नमःपाद्यो पाद्यं समर्पयामि।
एक आचमनी(तांबे का छोटा चम्मच), चंदन मिला हुआ जल दें -
ॐ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम्।
ॐ दुं दुर्गाय नमः अर्घयम समर्पयामि।
यह मंत्र बोलकर एक आचमनी जल चढ़ाएं-
ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।
ॐ दुं दुर्गाय नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि।
एक आचमनी जल से स्नान करवाएं -
ॐ आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः।
ॐ दुं दुर्गाय नमः स्नानियं जलम समर्पयामि।
इस मंत्र को बोलकर एक आचमनी दूध से स्नान करवाएं -
कामधेनु समुत्पन्नं सर्व संतोष कारकम
पावनं यज्ञ हेतुः पयः स्नाननार्पितम।
ॐ दुं दुर्गाय नमः पयः स्नानं समर्पयामी।
एक आचमनी दही से स्नान करवाएं -
पयस्तु समुद्भुतम मधुराम्लं शशीप्रभम
दध्यानितं मया देवी स्नानार्थम प्रतिगृहताम।
ॐ दुं दुर्गाय नमः दधि स्नानं समर्पयामी।
एक आचमनी घी से स्नान करवाएं-
नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोष कारकम
घृतम तुभ्यम प्रदास्यामि स्नानार्थम प्रतिगृहताम।
ॐ दुं दुर्गाय नमः घृत स्नानं समर्पयामी।
यह मंत्र बोलकर एक आचमनी पंचामृत से स्नान करवाएं -
ॐ पंचनद्यः सर्वशतिमपि सस्स्त्रोतशः
सरस्वती तू पंचधाह शो देशेअभवत्सरित।
ॐ दुं दुर्गाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि।
यह मंत्र बोलकर एक आचमनी जल दे-
ॐ शुद्धवालः सर्वशुध्दवालो मणिवालस्त अश्विना।
श्येतः श्येताक्षो रुद्राय पशुपतये करणा
यामावलीप्ता नभोरूपा पार्जन्याः।
ॐ दुं दुर्गाय नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि।
यह मंत्र बोलकर दुर्गा जी को वस्त्र चढ़ाएं -
ॐ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे।
ॐ दुं दुर्गाय नमः वस्त्रानी समर्पयामि।
इस मंत्र के द्वारा माता को जनेऊ समर्पित करें -
आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः ।
रक्षा मौली चढ़ाएं-
सौभाग्यसूत्रं वर दे स्वर्णमणी संयुक्तां कंठे बद्धनामी देवेशी सौभाग्यं देहि मे। ॐ दुं दुर्गाय नमः सौभाग्यसूत्रं समर्पयामी ।
यह मंत्र बोलकर रोली, कुमकुम, चंदन, इत्र इत्यादि लगाएं -
ॐ गंधद्वारां दूराधर्शां नित्यपुस्टां करिसिनिं
ईश्वरी सर्व भूतानां तामीहोप हव्ये श्रीयं।
ॐ दुं दुर्गाय नमः नाना परिमल द्रव्यानी समर्पयामि।
यह मंत्र बोलकर हल्दी चढ़ाएं -
हरिद्रारंजीते देवी सुख सौभाग्यदायिनी
तस्मात् त्वां पुजयाम्यत्र सुखम शांति प्रयक्ष मे।
ॐ दुं दुर्गाय नमः हरिद्रां समर्पयामि।
यह मंत्र सिंदूर चढ़ाने का है -
ॐ सिंधोरिव प्राध्वने सुघनाशो पतयन्ति यह्वा
घृतस्य धारा अरुषो न वाजीकाष्ठा भिन्दनुर्मिभिह पिन्वमानह।
ॐ दुं दुर्गाय नमःसिंदुरम समर्पयामि
इस मंत्र के द्वारा काजल की डिब्बी चढ़ाएं-
चछुर्भ्यां कज्जलं रम्यं सुभगे शांतिकारकं
कर्पूरज्योति समुत्पन्नं गृहाण परमेश्वरी।
इसके बाद सारी श्रृंगार की वस्तुएं चूड़ी, बिंदी इत्यादि माता जी को समर्पित करें।
🌺यह मंत्र बोलकर पुष्प चढ़ाएं 🌹- ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात्।
ॐ दुं दुर्गाय नमःपुष्पानी समर्पयामि।
धूप अगरबत्ती दिखाएं -
ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्।
ॐ दुं दुर्गाय नमः धुप मार्घापयामी।
यह मंत्र बोलकर दीप दिखाएं -
ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः।
ॐ दुं दुर्गाय नमः दीप दर्शयामी।
इस मंत्र से बोलकर भोग लगाएं - ॐ कर्दमेन प्रजाभूता मयि सम्भव कर्दम।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्।
ॐ दुं दुर्गाय नमः नैवेद्य निवेदयामी।
एक आचमनी जल चढ़ाएं -
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥
ॐ दुं दुर्गाय नमःनैवेद्यांते आचमनीयं जलं समर्पयामि ।
अब पान का बीड़ा समर्पित करें -
पुगीफलं महद्द्व्यिं नागवल्लीदलैर्युतं ।
एलालवंगसंयुक्तं तांबुलं प्रतिगृह्यताम॥
ॐ दुं दुर्गाय नमः मुखवासार्थे तांबुलम समर्पयामि।
कपूर की आरती करें -
कदलीगर्भ शंभूतम करपुरम तु प्रदीपीतम ।
अरार्तिक्यम अहम कुर्वे पश्य मा वर दो भव॥
ॐ दुं दुर्गाय नमःअरार्तिक्यम समर्पयामि।
अब घी की आरती करें -(मां दुर्गा की आरती के लिए इस लिंक को खोलें) -
जय अंबे गौरी मैया जय अंबे गौरी
यह मंत्र बोलकर क्षमा याचना करें -
मंत्र हीनं क्रिया हीनं भक्ति हीनं सुरेश्वरी यत पूजीतं माया देवी परिपूर्णम तदस्तु मे। यद अक्षर पद भ्रष्ट मात्राहिनं च यद भवेत् तत् सर्वं क्षमय्तां देवी प्रसिद् हे परमेश्वरी
ॐ दुं दुर्गाय नमः क्षमायाचनां निवेदयामी।
Conclusion -
आप दुर्गा पूजा में जितना समय देंगे, जितनी श्रद्धा से विधियों को और पूजा को करेंगे यह पूजा उतनी ही फलदाई होगी। इसलिए आप सभी से आग्रह है कि इन विधियों को बड़ा देखकर संकोच ना करें इन पूरी विधियों के साथ मां भगवती दुर्गा की पूजा करने पर आपको मां का आशीर्वाद निश्चित ही मिलेगा।
🌹धन्यवाद🌹