Ganesh ji ki kahani जन्म की -
Ganesh ji kahani हाथी का सिर मिलने की -
जब माता पार्वती नहाने के लिए चली गई और कुछ ही देर के बाद भगवान भोलेनाथ मां पार्वती से मिलने के लिए वहां पहुंचे परंतु द्वार पर खड़े गणेश जी को देख करके उन्होंने कहा कि मुझे जाने का मार्ग, दो पर गणेश भगवान ने अपनी माता के आदेश के कारण शिव जी को अंदर जाने से रोक दिया इस पर शंकर भगवान ने क्रोधित होकर अपना त्रिशूल गणेश जी पर चला दिया जिससे गणेश जी का सिर धड़ से अलग हो गया।
ऐसी घटना घटते ही माता पार्वती ये जान गई कि मेरे पुत्र के साथ कुछ अनिष्ट हुआ है । मां पार्वती तुरंत ही उस गुफा से बाहर निकलीं और अपने पुत्र की यह हालत देखकर अपने पति पर क्रोधित हो गईं । उनके क्रोध से पूरा ब्रह्मांड ही कांप उठा इससे भयभीत होकर सारे देवताओं ने भोलेनाथ से प्रार्थना की इस बालक को जीवित करें अन्यथा मां भगवती के क्रोध से सारा ब्रह्मांड नष्ट हो जाएगा ।
गणेश जी के एकदंत बनने की कथा -
एक बार भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती गुफा के अंदर विश्राम कर रहे थे और मुख्य द्वार पर गणेश जी पहरा दे रहे थे ताकि माता-पिता के विश्राम में कोई बाधा ना डाल सके ।
इतने में ही भगवान भोलेनाथ के परम भक्त विष्णु जी के अवतार भगवान परशुराम भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए कैलाश पर पहुंचे और उस गुफा में जाने का प्रयास करने लगे जहां मां भगवती भगवान भोलेनाथ विश्राम कर रहे थे, लेकिन द्वार पर खड़े गणेश जी ने यह कह कर मना कर दिया की माता और पिता विश्राम कर रहे हैं इसलिए आपको उनसे मिलने की अनुमति नहीं है ।
इस पर परशुराम जी क्रोधित हो गए और उन दोनों के बीच यानी गणेश जी और परशुराम जी के बीच भयंकर युद्ध होने लगा परशुराम जी द्वारा चलाए गए किसी भी अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग गणेश जी के ऊपर असफल रहा ।
इतने ही में गणेश भगवान ने परशुराम जी का हाथ पकड़ कर एक क्षण में ही सात ब्रह्मांडों का चक्कर लगवा कर फिर से कैलाश पर लाकर खड़ा कर दिया तब अति क्रोधित होकर परशुराम जी ने अपना फरसा गणेश जी के ऊपर चलाया ।
वह फरसा सारे शस्त्रों का अभिभावक कहा गया है तथा स्वयं शिव जी के द्वारा ही परशुराम जी को दिया गया था, जब भगवान गणेश ने देखा कि यह फरसा तो मेरे पिता का ही दिया हुआ है अतः इसका सम्मान करना चाहिए इसलिए गणेश भगवान ने अपना एक दांत उस फरसे के आगे कर दिया जिससे उनका वह दांत कट कर पृथ्वी पर गिर गया ।
उस कटे हुए दांत के पृथ्वी पर गिरने से पूरी पृथ्वी ही हिल गयी। इसीलिए भगवान गणेश की प्रतिमाओं और चित्रों में हम उनका एक दांत कटा हुआ देखते हैं तथा उन्हें एकदंत के नाम से भी पुकारा जाता है।
इसके आगे की कहानी है भगवान गणेश का कटा हुआ दांत देखकर माता पार्वती अति क्रोधित हो गईं । उनका वह भयंकर रूप देखकर भगवान भोलेनाथ ने श्री हरि विष्णु का स्मरण किया, शिव जी के द्वारा भगवान विष्णु का स्मरण करते ही भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए तब जाकर उन्होंने माता को समझाया और मां पार्वती का क्रोध शांत हुआ ।Ganesh ji ki aarti lyrics -
गणेश जी की वैदिक पूजा विधि के लिए हमें एक लिंक दे रहे हैं जो हनुमान जी की पूजा है का लींक है, हनुमान जी की पूजा में जो मंत्र हैं गणेश जी की पूजा में भी सभी मंत्र वैसे ही रहेंगे बस जहां उन मंत्रों में हनुमान जी का नाम है वहां ॐ श्री गणेशाय नमः लगा दे -
यहां पर हम गणेश जी की पूजा के दो मंत्र दे रहे हैं दोनों ही मंत्र बहुत प्रभावशाली है -
- गणेश जी का वैदिक मंत्र - ॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥
- गणेश जी का तंत्रोक्त मंत्र - ॥ॐ गं गणपतये नमः॥
Aarti Ganesh Ji Ki -
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
एकदंत दयावंत चार भुजाधारी।
मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डूअन के भोग लगे संत करें सेवा ॥
अन्धन को आंख देत कोढ़िन को किया ।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया ॥
सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा ।
भक्तजन तोरी शरण कृपा रखो देवा ॥
दीनन की लाज रखो शंभू सूतकारी ।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
Conclusion -
गणेश जी की पूजा वैदिक तथा तांत्रिक दोनों विधियों से होती है हमने यहां पर जो पूजा विधि हनुमान पूजा के द्वारा दी है वह शुद्ध वैदिक विधि है। गणेश जी की तांत्रिक पूजा विधि के लिए आप हमसे ई मेल पर संपर्क कर सकते हैं ।
🥀धन्यवाद