Hanuman ji सप्त चिरंजीवी में से एक है, कलियुग में प्रत्यक्ष शक्ति के रूप में विराजमान है इसलिए हम आज उनके पूजा विधि को विस्तार से जानेंगे। हनुमान जी की पूजा के दो विधियां हैं। पहली है वैदिक पूजा विधि तथा दूसरी सामान्य पूजा विधि । हमने यहां दोनों विधियों को लिखा है ताकि जीन व्यक्तियों को संस्कृत के उच्चारण में दिक्कत होती हो वह नाम मंत्र के द्वारा हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं।
अगर आप में भावना श्रद्धा है तब दोनों ही पूजा विधि एक जैसा ही फल देने वाली हैं। यहां हनुमान जी की आरती भी दे रहे हैं । इस लेख में हनुमान जी से संबंधित कई विषयों को हम दे रहे हैं ताकि आप अपनी इच्छा अनुसार जो भी चाहे वह आपको यहां मिले।
हनुमान पूजा की सामग्री -
- अक्षत (बिना टूटे हुए चावल), कुमकुम, रोली
- सिंदूर चंदन धनिया शहद जल पात्र (तांबे या पीतल का)
- पान, सुपारी, लौंग, इलाइची, शुद्ध गाय का घी
- दूर्वा (दूब), तुलसी पत्र, लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र
- रक्षा सूत्र, दूध, दही, घी, गुड, फल से बना पंचामृत
- दूध की बनी मिठाई, फल, कपूर, दो दीपक
हनुमान जी की पूजा विधि -
पुष्पांजलि मंत्र -
अतुलित बल धामं हेमशैलाभदेहं।
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ॥
सकल गुण निधानं वानरनांधिशं।
रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि ॥
मनुज्यवं मारुततुल्य वेगम ।
जितेंद्रियम बुद्धि मताम वरिष्ठं ॥
वातात्मयं वानर यूथ मुख्यं ।
श्री राम दूतम शरणं प्रपद्ये ॥
आंजनेय मती पाटलाननं ।
कांचानादृक कमनीय विग्रहम ॥
परिजात मूलवासिनं भाव्यामी पवमानंदनं ।
यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र तत्र क्रित्मस्त्कांजलिं ।
वास्पवारी परिपूर्ण लोचनं मारुति नमत राक्षसांतकं॥
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।
स भूमिं विश्वतों स्पृष्ठवातिष्ठदशांगुलं॥
ॐ श्री हनुमते नमः आवाहयामी पुजयामी च।
एक आचमनी चंदन मिला हुआ जल दें -
पुरुष एवेद् सर्वं यद्भूतं यच्च भव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति ॥
ॐ श्री हनुमते नमः अर्घयम समर्पयामी।
एक आचमनी शुद्ध जल दें -
एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृत दिवि ॥ ३ ॥
ॐ श्री हनुमते नमः स्नानियं जलम समर्पयामी।फिर से एक आचमनी जल दें -
त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः पादोऽस्येहाभवत्पुनः ।
ततो विष्वङ् व्यक्रामत्साशनानशने अभि ॥४॥
ॐ श्री हनुमते नमः स्नानांते आचमनीयं जलं समर्पयामी।कामधेनु समुत्पन्नं सर्व संतोष कारकम
पावनम यज्ञ हेतु पयः स्नाननार्पितम।
ॐ श्री हनुमते नमः पयः स्नानं समर्पयामी।
दही से स्नान करवाएं -
पयस्तु समुद्भुतम मधुराम्लं शशीप्रभम।
दध्यानितं मया देव स्नानार्थम प्रतिगृहताम॥
ॐ श्री हनुमते नमः दधि स्नानं समर्पयामी।
घी से स्नान करवाएं -
नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोष कारकम।
घृतम तुभ्यम प्रदास्यामि स्नानार्थम प्रतिगृहताम॥
ॐ श्री हनुमते नमः घृत स्नानं समर्पयामी।
पंचामृत से स्नानं करवाएं -
ॐ पंचनद्यः सर्वशतिमपि सस्स्त्रोतशह
सरस्वती तू पंचधाः शो देशेअभवत्सरित।
ॐ श्री हनुमते नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि।
शुद्ध जल से स्नान करवाया -
ॐ शुद्धवालः सर्वशुध्दवालो मणिवालस्त अश्विना श्येतः श्येताक्षो रुद्राय पशुपतये करणा यामावलीप्ता नभोरूपा पार्जन्याः।
ॐ श्री हनुमते नमः शुद्धोदक स्नानं समर्पयामि।
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायते ॥ १२ ॥
ओम श्री हनुमते नमः अर्घयम समर्पयामी।तस्माद्विराळ जायत विराजो अधि पूरुषः ।
स जातो अत्यरिच्यत पश्चादभूमिमथो पुरः ॥५॥
ओम श्री हनुमते नमः वस्त्रानी समर्पयामी।हनुमान जी को चंदन रोली कुमकुम, इत्र चढ़ाएं -
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।
वसन्तो अस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः ॥६॥
ओम श्री हनुमते नमः नाना परिमल द्रव्यानी समर्पयामी।तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं पृषदाज्यम् ।
पशून्ताँश्चक्रे वायव्यानारण्यान् ग्राम्याश्च ये ॥८॥
ओम श्री हनुमते नमः नैवेद्य निवेदयामी ।यह मंत्र बोलते कपूर की आरती करें -
कदलीगर्भ संभूतम करपुरम तु प्रदीपीतम
अरार्तिक्यम अहं कुर्वे पश्य मा वर दो भव।
ॐ श्री हनुमते नमः अरार्तिक्यम समर्पयामि॥
हनुमान जी की स्तुति -
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणम प्रपद्धे ॥
हनुमानजी के 12 नाम हनुमान -
अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्टः, फाल्गुण सखा,
पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीता शोक
विनाशन, लक्ष्मण प्राणदाता और दशग्रीव दर्पहा हैं।
क्षमा याचना-
मंत्र हीनं क्रिया हीनं भक्ति हीनं सुरेश्वर यत पूजीतं माया देव परिपूर्णम तदस्तु मे।
ॐ श्री हनुमते नमः क्षमायाचनां निवेदयामी।
श्री हनुमान मंत्र - ॥ ॐ हं हनुमते नमः ॥
अब हनुमान चालीसा, नाम या फिर उनके मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
सामान्य दशोपचार पूजा विधि नाम मंत्रों के द्वारा -
एक आचमनी चंदन मिला हुआ जल दें
ॐ श्री हनुमते नमः आचमनीयं जलम समर्पयामि।
फिर से एक आचमनी जल चढ़ाएं
ॐ श्री हनुमते नमः स्नानियम जलम समर्पयामि।
एक आचमनी शुद्ध जल चढ़ाएं।
ॐ श्री हनुमते नमः स्नानांते आचमनीयं जलम समर्पयामि।
(एक आचमनी जल दें)
ॐ श्री हनुमते नमः पुष्पम समर्पयामि।
यह बोलकर गणेश जी को फूल चढ़ाएं।
ॐ श्री हनुमते नमः नाना परिमल द्रव्ययानी समर्पयामि।
यह बोलकर (चंदन, रोली, कुमकुम, इत्र, सिंदूर चढ़ाएं)
ॐ श्री हनुमते नमः वस्त्राणि समर्पयामी।
यह बोलकर गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं।
ॐ श्री हनुमते नमः धुप मार्घापयामी ।
धूप अगरबत्ती दिखाएं।
ॐ श्री हनुमते नमः दीप दर्शयामी।
दीप दिखा कर हाथ धो लें।
ॐ श्री हनुमते नमः नैवेद्यम निवेदन ।
यह बोलकर फल मिठाई के ऊपर तुलसी पत्र रखकर चढ़ाएं।
ॐ श्री हनुमते नमः नैवेद्यांते आचमनीयम जलम समर्पयामि ।
(एक आचमनी जल चढ़ाएं)
हनुमान जी की कपूर से आरती करें -
ॐ श्री हनुमते नमः अरार्तिक्यम समर्पयामि।
हनुमान जी की आरती -
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके । अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजे हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजे हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ।
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ।।
आरती कीजे हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
पैठि पताल तोरि यमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ।
बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजे हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
सुर नर मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें ॥ कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ।।
आरती कीजे हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ।।
आरती कीजे हनुमान लला की दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
Conclusion -
इन सारी वीधियों को दो तरीकों से हमने यहां बताया है जिसका उद्देश्य यह है कि किसी भी तरह के श्रद्धालु जिन्हें संस्कृत आती हो या ना आती हो वह सभी श्री हनुमान जी की विधिवत पूजा कर सके तथा श्री हनुमान जी की कृपा उन्हें प्राप्त हो।
🌹धन्यवाद🌹