इस लेख में हम आपको काल भैरव की एक बहुत ही शक्तिशाली स्तुति दे रहे हैं जो बीज मंत्रों द्वारा निर्मित एक बहुत ही प्रभावशाली स्तुति है तथा यहां पर हम Kaal bhairav ashtakam lyrics के साथ भैरव जी के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं । यह दोनों पाठ अपने आप में अद्भुत अद्वितीय है।
Kaal bhairav ashtakam story, काल भैरव की उत्पत्ति की कहानी
Kaal bhairav का नाम सुनते ही बहुत से लोगों को भय महसूस होता है क्योंकि इनके एक हाथ में ब्रह्मा जी का कटा हुआ पांचवा सिर और बाकी तीन हाथों में खड़ग, खप्पड़, त्रिशूल और डमरू लिए हुए शिव जी के रौद्र रूप का दर्शन होता है। लेकिन सत्य तो यह है कि भगवान काल भैरव लोगों का भरण पोषण और रक्षा करने वाले देवता हैं। जैसा कि इनके नाम का यह भी अर्थ निकलता है, भय का शमन करने वाला या भय को खत्म करने वाला जिसे भैरव कहते हैं। शास्त्रों में एक कथा के अनुसार एक बार देवताओं की सभा में ब्रह्मा जी के पांचवे सिर ने भगवान भोलेनाथ का अपमान करना शुरू कर दिया । देवताओं के समझाने के बावजूद भी ब्रह्मा जी का वह पांचवा सिर शिवजी के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करता रहा, इस पर भोलेनाथ के शरीर से एक बहुत हीं भयंकर रूप धारण किए हुए पुरुष उत्पन्न हुआ जिसके हाथ में खड़ग और खप्पड़ थे।
Kaal Bhairav Stuti, काल भैरव स्तुति -
यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं ।
सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रबिम्बम्।।
दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं।
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं ।
घं घं घं घोषघोषं घ घ घ घ घटितं घर्घरं घोरनादम्।।
कं कं कं कालपाशं धृकधृकधृकितं ज्वालितं कामदेहं ।
तं तं तं दिव्यदेहं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घजिह्वाकरालं ।
धुं धुं धुं धूम्रवर्णं स्फुटविकटमुखं भास्करं भीमरूपम्।।
रुं रुं रुं रुण्डमालं रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालं ।
नं नं नं नग्नभूषं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
वं वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मपारं परं तं।
खं खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवननिलयं भास्करं भीमरूपम्।।
चं चं चं चं चलित्वा चलचलचलितं चालितं भूमिचक्रं ।
मं मं मं मायिरूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
यं यं यं भूतनाथं किलिकिलिकिलितं बालकेलिप्रधानं
अं अं अं अन्तरिक्षं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
खं खं खं खड्गभेदं विषममृतमयं कालकालं करालं ।
क्षं क्षं क्षं क्षिप्रवेगं दहदहदहनं तप्तसन्दीप्यमानम्।।
हौं हौं हौंकारनादं प्रकटितगहनं गर्जितैर्भूमिकम्पं ।
बं बं बं बाललीलं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
सं सं सं सिद्धियोगं सकलगुणमखं देवदेवं प्रसन्नं।
पं पं पं पद्मनाभं हरिहरमयनं चन्द्रसूर्याग्निनेत्रम्।।
ऐं ऐं ऐश्वर्यनाथं सततभयहरं पूर्वदेवस्वरूपं ।
रौं रौं रौं रौद्ररूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
हं हं हं हंसयानं हपितकलहकं मुक्तयोगाट्टहासं ।
धं धं धं नेत्ररूपं शिरमुकुटजटाबन्धबन्धाग्रहस्तम्।।
टं टं टं टङ्कारनादं त्रिदशलटलटं कामवर्गापहारं ।
भृं भृं भृं भूतनाथं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ।।
इत्येवं कामयुक्तं प्रपठति नियतं भैरवस्याष्टकं यो ।
निर्विघ्नं दुःखनाशं सुरभयहरणं डाकिनीशाकिनीनाम्।।
नश्येद्धिव्याघ्रसर्पौ हुतवहसलिले राज्यशंसस्य शून्यं ।
सर्वा नश्यन्ति दूरं विपद इति भृशं चिन्तनात्सर्वसिद्धिम् ।।
भैरवस्याष्टकमिदं षण्मासं यः पठेन्नरः।
स याति परमं स्थानं यत्र देवो महेश्वरः ।।
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Kaal Bhairav ashtakam lyrics, कालभैरवाष्टकम् -
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥
Conclusion -
यह लेख लिखने का उद्देश्य यह है कि आप भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त कर सकें, इसलिए कालभैरवाष्टक एवं भगवान काल भैरव की स्तुति है जो सिर्फ बीज मंत्रों द्वारा बनी हुई है। शास्त्रों में इसकी बहुत महिमा बताई गई है। इसी तरह के अन्य जानकारियों के लिए हमारे आर्टिकलों को पढ़ें तथा आपके जैसे श्रद्धालुओं को शेयर करें ताकि इसका लाभ उन्हें भी मिल सके ।
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