मित्रों आज मैं बात करने जा रहा हूं ऐसी समस्या के ऊपर जिसके बारे में हम सभी सोचते तो बहुत हैं पर उस समस्या का कोई हल नहीं दिखता वह समस्या है कि हमने बहुत पूजा और साधना की, धार्मिक कार्य किए पर फिर भी हमारे जीवन की समस्या कम नहीं हुई और ना ही कोई Sidhi मिली, आखिर इसका कारण क्या है? ईस विषय पर हम आज चर्चा करने जा रहे हैं।
सिद्धि की पहली शर्त -
खूब पूजा की बहुत सारे मंदिरो और तीर्थो के दर्शन किए फिर भी तकलीफ कम नहीं हुए, कारण है आपका मन।
मन जिस दीन अपने शत्रु के प्रति भी दयाभाव को अपना लेगा , ऐसे मन मे सारे सद्गुण धीरे धीरे आना शूरू कर देंगे, ऐसा निर्मल मन हो जाने पर आपकी साधारण सी की गई प्रार्थना भी असर दिखाएंगे। यह पहला कदम होगा आपकी सिद्धि के पास पहुंचने के लिए।
ये ठीक ऐसा है मान लीजिए कि आपने किसी बर्तन को बाहर से धो लिया उसमें पानी भी साफ डाला पर अंदर से बर्तन ना धूला होने के कारण आपके द्वारा डाला गया साफ पानी भी अंदर जा कर दुशित हो गया और आपके द्वारा चढ़ाया गया वो जल देवता ने नहीं लिया।
आप स्नान कर के, शुद्ध कपडे पहन कर पूजा करने गए प्रार्थना भी आपने दिल से की पर कोई सुनवाई नही हुई इसका कारण है दुर्गुणों से भरा हमारा मन है। सारे अवगुणों को मन से सदा के लिये निकाल दीजिए और तब पूजा और साधना में जाएं फिर देखिए आपकी प्रार्थना में, मंत्रों में एक ऐसी शक्ति आएगी जो अपना असर बहुत ही जल्द दिखाना शुरू कर देंगे।
पर इसका भी ध्यान रखे की दुनिया मे क्रोधी, सनकी, उन्मादी, इरशालु, लालची लोग भरे पड़े है, इसीलिये सतर्क रहने की और ऐसे लोगों से दूर रहने की जरूरत है, और अवसर पड़ने पर इन्हे डांटने समझाने से परहेज ना करे।
- विनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत।
- बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीत।।
बस एक बात का ध्यान रखें ऐसे मनुष्यों के प्रति भी मन मे नफरत ना आने देना, इनके प्रति भी मन मे दयाभाव ही रखना चाहिए।
सिद्धि की चाभी है मन -
मन एक ऐसी चीज है कि अगर इसे अपने वश में कर लिया गया तो इस ब्रह्मांड की कई अलौकिक शक्तियों को भी वश में किया जा सकता है।
इसको वश में करने के लिए बस हमेशा अपने मन के ऊपर ध्यान रखना होगा और जो विचारों के जो विस्फोट मन में सदा चलते रहते हैं, मन हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है इसे सर्वप्रथम बंद करना होगा।
सच पूछिए तो आज के समाज में या फिर शुरू से ही मनुष्यों की सारी परेशानियों का कारण यह मन ही रहा है क्योंकि हमारे मन में जिस तरह के विचार चलते रहते हैं उसी के अनुरूप ही भविष्य में होने वाली है घटनाएं होती हैं।
अगर मन नकारात्मक विचारों से भरा है और आशंकाओं से डरा सहमा सा है तो निश्चित मानिए आपके साथ भविष्य में शुभ फल देने वाले कार्य भी उतना अच्छा फल नहीं दे पाएंगे।
सिद्धि के लिए मन के भटकाव को रोकने का उपाय -
मन को भटकने से रोकने के लिए इसे एकाग्र करने के लिए हमारे शास्त्रों में बहुत सारे योग, ध्यान और साधना बताई गई हैं लेकिन इनके साथ ही मन को एकाग्र करने के लिए अपने मन में आने वाले विचारों के प्रति हमेशा ध्यान रखना होगा, सचेत रहना होगा। यह बार-बार भटकेगा लेकिन हमें इसे फिर से वापस लाना होगा ऐसा बार-बार करते रहने पर कुछ ही दिनों में इसका भटकना कम होगा और लगातार के प्रयास होने पर यह बिल्कुल एकाग्र हो जाएगा।
ऐसी अवस्था में आने पर सच माने कोई भी सिद्धि कोई भी शक्ति जो आप प्राप्त करना चाहते हैं वह बहुत ही आसानी से आपको मिलेगी। बस जरूरत है मन को अन्य सभी विचारों से वापस खींच कर अपने उस सिद्धि शक्ति के बारे में सोचना जिस सिद्धि, शक्ति को आप प्राप्त करना चाहते हो।
कुछ प्रमुख सिद्धिदायक शक्तियां -
Conclusion -
हमारा यह लेख लिखने का उद्देश्य मात्र इतना है कि आप सभी जो पूजा साधना में अपना समय और मेहनत दे रहे हैं वह फलित हो। आशा है कि इस लेख में लिखे बातों का आप गहराई से अध्ययन करेंगे और समझेंगे यकीन मानो ऐसा करने पर सफलता -
अवश्य मिलेगी, अवश्य मिलेगी, अवश्य मिलेगी ।
🌹धन्यवाद🌹
FAQ-
- सिद्धि किसे कहते हैं?
ANS - किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति को
सिद्धि कहते हैं।
- सिद्धि के पिता कौन है?
ANS - सिद्धि के पिता ब्रह्मा जी हैं।
- कौन सा भगवान सिद्धि देता है?
ANS - सभी देवता और भगवान सिद्धि देते हैं,
यह आपके ऊपर है। आप कीसीकि भी
पूजा साधना कर सकते हैं।
- मंत्र में सिद्धि कैसे प्राप्त करें?
ANS - सभी मंत्रों की अपनी पुरुश्चरण संख्या होती है,
उन्हें पूरा करके और उस देवता की पूजा
विधियों और मंत्र के नियमों का पालन करते
हुए जप करने से सिद्धि मिलती है।
- क्या सिद्धि प्राप्त करना संभव है?
- सिद्धि मंत्र क्या है?
ANS - सिद्धि कोई मंत्र नहीं है। किसी भी मंत्र द्वारा
उस मंत्र के देवता को अपने अनुकूल करना
या उनके दर्शन करना सिद्धि कहलाती है।