मित्रों मै आज आपको बताने जा रहा हूं हमारे सनातन धर्म की सबसे पुरानी Puja vidhi जिससे हम किसी भी पूजा अनुष्ठान या यज्ञ से पहले अपने आप को वैदिक मंत्रों द्वारा पूजा के लिए तैयार करते हैं। आज हम उन हर एक विधियों को उनके करने की विधि और उनके मंत्र आपको विस्तार से बताने वाले हैं। इस विधि द्वारा स्वयं को तैयार कर लेने पर आप छोटी से छोटी पूजा और बड़े से बड़े यज्ञ या अनुष्ठान करने की पात्रता प्राप्त करते हैं।
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Puja vidhi - पूजा शुरू करने से पहले की तैयारी -
1) आसन पर बैठने से पहले आसान को प्रणाम करके यह मंत्र
बोले -
आसन पर बैठने का मंत्र - ॐ आधार शक्तये कमलासन्ये नमः (यह मंत्र बोलकर आसन पर बैठ जाएं)
2) एक जल पात्र में गंगाजल या शुद्ध जल अपने सामने रख कर पहले दाहीने हाथ से ढके, दहीन हाथ के ऊपर बाया हाथ
रखे-
जल आवाहन मंत्र - ॐ गंगे च जमुने च गोदावरी नर्मदे सिंधु सरस्वती कावेरी जले अस्मिन्न सन्निद्धि कुरु।
3) जल को आचमनी से क्लोक वाइज घुमाते हुए ये मंत्र बोले -
जल एकीकरण मंत्र-
ॐ पुनन्तु मां देवजना पुनन्तु मनसा धियह पुनंतु विश्वभूतानि जातवेदह पुनिहिमां।
4) अब बाये हाथ से आचमनी लेकर एक एक आचमनी जल दहिने हाथ में लेकर निचे लिखें एक-एक मंत्र को बोलते हुए तीन बार पीना है -
आचमन मंत्र- ॐ केशवाय नमः, नारायणाय नमः, माधवाय नमः (आचमन करते समय अंगूठे और कनिष्ठा उंगली को बाहर की तरफ रखें) (ॐ ऋषिकेशाय नमः ॐ गोविंदाय नमः यह बोलकर दो बार हाथ धो लें)
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5) अब दहिने हाथ में जल लेकर यह मंत्र बोले हुए अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर छिड़के -
पवित्र करण मंत्र - ॐअपवित्रं पवित्रो वा सर्ववस्थांगतोपी वा यह स्मरेत पुंडरीकाक्ष स बाह्याभयन्तर शुचि।
6) दहिने हाथ में जलपुष्प और अक्षत लेकर यह मंत्र बोलकर वह जल आसन के समीप छोड़े -
आसन पूजन मंत्र - ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी, त्वम विष्णुनां धृता, त्वम च धारय मा देवी पवित्रम कुरु आसनम्।
7) दहिने हाथ में जल लेकर यह मंत्र पढ़कर जल को क्लोक वाइज अपने चारों तरफ गोल घेरा बना ले -
भूत शुद्धि मंत्र - ॐ अपसर्पंतु ते भूता ये भूता भूतले स्थिता ये
भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवआज्ञया।
8) शिखा को स्पर्श करके यह मंत्र बोले -
शिखा (चोटी) बंधन मंत्र -
चिदरुपिणी महामाय दिव्य तेजह समन्विते तिष्ठ देवी शिखा मध्ये तेजो वृद्धि कुरुष्व मे ।
9) तिलक धारण मंत्र -
कस्तूरी तिलकं ललाट पटले वक्ष स्थल कौस्तुभम नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले वेणु करे कंकणम सर्वांगे हरिचंद्न सुललिते कंठे मौक्तावली गोपश्त्रि परिवेशठीते विजयते गोपाल चूड़ामणि।
इतनी प्रक्रिया कर लेना के बाद आप किसी भी पूजा या अनुष्ठान को शुरू करने के लिए तैयार हैं।
मुख्य Puja vidhi -
अब आपको जिस देवता की या देवी की पूजा पूजा करनी है पूजा विधि इस प्रकार है - स्वस्तिवाचन और संकल्प के बाद किसी भी देवता के पूजन के लिए पुरुष सूक्त के सोलह मंत्रों द्वारा सारी प्रक्रिया की जाती है तथा किसी भी देवी पूजन के लिए श्री सूक्त के सोलह मंत्रों द्वारा पूजा की जाती है।
उदाहरण के लिए हम यहां पर लक्ष्मी जी की पूजा का लिंक दे रहे हैं, किसी भी देवी की पूजा के लिए सारे मंत्र और विधि वही रहेंगे पर मंत्रों में जहां लक्ष्मी जी का नाम है उस जगह उस देवी का नाम लेना है जिस देवी की आप पूजा कर रहे हैं -
किसी भी देवता की पूजा के लिए इस लिंक को खोलें इसमें हनुमान जी की पूजा विधि है, यहां पर जहां-जहां हनुमान जी का नाम लिखा है वहां पर उस देवता का नाम लें जिसकी आप पूजा कर रहे हैं बाकी सभी मंत्र और विधियां वैसे ही रहेंगे -
पूजन के बाद उस देवता या देवी से संबंधित चालीसा, स्तुति, अष्टोत्तर नामावली, सहस्त्रनाम इत्यादि के पाठ का विधान है। तदुपरांत जप, हवन, तर्पण, मार्जन और उसके बाद आरती और क्षमा याचना इतनी प्रक्रिया की जाती है। इन सारी क्रियाओं के होने के बाद यह मंत्र अवश्य बोलें -
ॐ पूर्णमदह पूर्णमीदम पूर्णात पूर्णमुद्दच्यते ।
पुर्णस्य पूर्णमादाय पूर्ण मेवावशिस्यते ॥
आसन से उठने के पहले एक आचमनी जल आसन के नीचे डालकर उस जल से माथे पर तिलक लगा लेना चाहिए।
पूजा के कुछ विशेष नियम -
तांत्रिक पूजा और साधनाओं में मंत्र बदल जाते हैं किंतु प्रक्रियाऐं वही रहती हैं जो हमने ऊपर इस लेख में आपको बताया है, इसलिए तांत्रिक या वाममार्ग की पूजा पद्धति की जानकारी के लिए आप हमें हमारे कमेंट सेक्शन में लिख सकते हैं या हमसे ईमेल द्वारा संपर्क कर सकते हैं। किसी भी पूजा में सिर ढक कर ही पूजा की जाती है केवल जप और हवन करते समय सिर नहीं ढकना चाहिए। बिना सिले हुए कपड़े जैसे की धोती, साड़ी, गमछा, लूंगी पहनकर पूजा करना अति उत्तम माना गया है।
Conclusion -
हमारा यह लेख लिखने का उद्देश्य यह है कि जो भी श्रद्धालु भगवान की पूजा याचना करते हैं उन्हें वैदिक विधि द्वारा तैयार होकर पूजा करने के लिए हम प्रेरित कर सकें ताकि जो पूजा प्रतिदिन वह साधारण रूप से करते हैं वह पूजा विशेष पूजा बन जाए और उसका लाभ श्रद्धालुओं को मिल सके।
🚩धन्यवाद 🚩
FAQ -
- पूजा की विधि क्या है?
ANS - पूजा करने के तरीकों को पूजा विधि कहते।
- पूजा शुरू करने से पहले क्या करना चाहिए?
ANS - इसकी समुचित जानकारी ऊपर लेख में हमने लिखी
है कृपया उसे पढ़ें।
- प्रतिदिन की पूजा कैसे करें?
ANS - नाम मंत्रों के द्वारा भी प्रतिदिन की पूजा की जा सकती
है लेकिन उससे पहले हमने जो लेख में पूजा से पहले
की तैयारी लिखी है वह क्रिया कर लेने पर वह पुजा
उत्तम पूजा मानी जाएगी।
- पूजा के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है
ANS - सूर्योदय से पहले की पूजा उत्तम और सूर्योदय के बाद
की पूजा मध्यम पूजा कहलाती है।
- सुबह कितने बजे तक पूजा कर लेना चाहिए?
ANS - सुबह 8:00 बजे के पहले पूजा कर लेनी चाहिए।